घी के दीप जलें न जलें, आशा के दीप जलाने हैं।
ज्ञान अग्नि से प्रज्वलित कर, श्रद्धा के दीप जलाने हैं।
हर उर में जो प्रकाश भर दे, मन-मंदिर में उजियारा कर दे,
सारी दुनिया रौशन कर दे, ऐसे दीप-थाल सजाने हैं।
घनघोर अंधेरा मिटा सके, उज्जवल भविष्य को दिखा सके,
सतत - निरंतर जलते रहें, कुछ ऐसे दीप जलाने हैं।
लक्ष्मी-गणेश की पूजा हो, पर अर्थ भी इसका ध्यान रहे ।
बढ़े ज्ञान और आय बढ़े, पर सही - गलत का भान रहे।
बुद्धि कुचक्र ना गढ़े कहीं, धन का अपव्यय न हो पाये।
जब यह संकल्प उठे मन में तो पूजा सार्थक हो जाये।
- रवि कुमार
ज्ञान अग्नि से प्रज्वलित कर, श्रद्धा के दीप जलाने हैं।
हर उर में जो प्रकाश भर दे, मन-मंदिर में उजियारा कर दे,
सारी दुनिया रौशन कर दे, ऐसे दीप-थाल सजाने हैं।
घनघोर अंधेरा मिटा सके, उज्जवल भविष्य को दिखा सके,
सतत - निरंतर जलते रहें, कुछ ऐसे दीप जलाने हैं।
लक्ष्मी-गणेश की पूजा हो, पर अर्थ भी इसका ध्यान रहे ।
बढ़े ज्ञान और आय बढ़े, पर सही - गलत का भान रहे।
बुद्धि कुचक्र ना गढ़े कहीं, धन का अपव्यय न हो पाये।
जब यह संकल्प उठे मन में तो पूजा सार्थक हो जाये।
- रवि कुमार
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