Wednesday, January 18, 2023

चला एक शर फिर अर्जुन तू

चला एक शर फिर अर्जुन तू
कर जनमानस उन्माद-रहित
कर धर्म अंधविश्वास-रहित
कर दे विद्या व्यवसाय-रहित
कर दे उपासना काम-रहित



चला एक शर फिर अर्जुन तू 
कर दे चरित्र फिर दाग-रहित

कर दे दुनिया संताप-रहित
कर भूतल को दारिद्रय-रहित
कर घर-घर को जंजाल-रहित


चला एक शर फिर अर्जुन तू
कर कर्म फिर अभिमान-रहित
कर दे हृदय विषाद-रहित
हो अर्चना फिर माँग-रहित
हो भावना फिर राग-रहित