Monday, May 26, 2014

नया इतिहास नहीं रचना है, कीर्ति नहीं कोई गढ़ना है


नया इतिहास नहीं रचना है, कीर्ति नहीं कोई गढ़ना है,
भारत के स्वर्णिम अतीत को पुनर्जिवित भर करना है। 
जगद्गुरु का सिंहासन वो, माँ जिस पर बैठा करती थीं,
स्वच्छ - सुसज्जित कर फिर से, माँ को अर्पित करना है।

कभी समय था, घी - दुग्ध की नदियाँ बहती रहती थीं,
उन स्त्रोतों को चिन्हित कर, फिर प्राण उन्हीं में भरना है। 

संस्कृति और समृद्धि की जिससे आभा बिखरी रहती थी, 
स्नेह डालकर उन दीपों को फिर से प्रज्जवलित करना है।  

विज्ञान - कला का परचम जिससे जग लहराया करता था,
गुरुकुल की उस परिपाटी का जीर्णोद्धार फिर करना है।
शौर्य - पराक्रम ऐसा, जिससे दिक् झुक जाया करते थे, 
सिंह-शावक सा धरा पकड़, बस एक दहाड़ फिर भरना है। 
- रवि कुमार , २६.०५.२०१४ 

(भारत के १५ वें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी को समर्पित )