"आप बाहर में प्रचार कीजिये, ये education centre है, इन सब चीजों के लिए सही जगह नहीं है ", यही जवाब मिलता है तथाकथित बुद्धिजीवियों के द्वारा जब आप किसी university / कॉलेज या अन्य शिक्षण संस्थानों में भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन या अन्य सामाजिक मुद्दा उठाते हैं | क्या शिक्षण संस्थानों की इन सब में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए ?
इसी भारत देश में एक समय था जब तक्षशिला विश्वविद्यालय का एक आचार्य 'चाणक्य' समय की आवश्यकता को समझते हुए 'चन्द्रगुप्त' एवं अन्य छात्रों के साथ निकल पड़ता है देश को यवनों की दासता से मुक्त करने के लिए और अखण्ड भारत का निर्माण करता है | आज हम कहते हैं कि विश्वविद्यालय सिर्फ कागज-कलम चलाने के लिए है इसका सामाजिक समस्यायों से क्या लेना-देना ? आज भी देश चाणक्य और चन्द्रगुप्त माँग रहा है देश को भ्रष्ट राजतंत्र और कुटिल राजनेताओं की दासता से मुक्त कराने के लिए | अंतर बस इतना है कि तब तीर और तलवारों से युद्ध हुआ करता था, आज बुद्धि, विचार, संचार और सजगता के अस्त्र-शास्त्रों से , पर आदर्श तो जो हमारा था, वही है और वही रहना चाहिए |
|| उठो जवान देश के वसुंधरा पुकारती, देश है पुकारता, पुकारती माँ भारती ||
इसी भारत देश में एक समय था जब तक्षशिला विश्वविद्यालय का एक आचार्य 'चाणक्य' समय की आवश्यकता को समझते हुए 'चन्द्रगुप्त' एवं अन्य छात्रों के साथ निकल पड़ता है देश को यवनों की दासता से मुक्त करने के लिए और अखण्ड भारत का निर्माण करता है | आज हम कहते हैं कि विश्वविद्यालय सिर्फ कागज-कलम चलाने के लिए है इसका सामाजिक समस्यायों से क्या लेना-देना ? आज भी देश चाणक्य और चन्द्रगुप्त माँग रहा है देश को भ्रष्ट राजतंत्र और कुटिल राजनेताओं की दासता से मुक्त कराने के लिए | अंतर बस इतना है कि तब तीर और तलवारों से युद्ध हुआ करता था, आज बुद्धि, विचार, संचार और सजगता के अस्त्र-शास्त्रों से , पर आदर्श तो जो हमारा था, वही है और वही रहना चाहिए |
|| उठो जवान देश के वसुंधरा पुकारती, देश है पुकारता, पुकारती माँ भारती ||
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