हँसे नही जिस दिन , वह दिन मनो व्यर्थ गया ।
आए देश के काम नहीं, तो यह जीवन ही व्यर्थ गया ॥
Wednesday, October 28, 2009
चिन्ता या चिन्तन
आज को देखे अगर हम ,
कल सुधर जायेगा ख़ुद ही ।
कल की चिन्ता आज करे तो ,
समय निकल जायेगा ख़ुद ही ।
चिन्ता में क्यूँ आज पड़ा है ?
चिंता से मिलता ही क्या है?
चिन्ता छोड़ चिंतन अपना ले ।
सोंच ले क्या भला-बुरा है ।
जो भला उसको अपना ले ।
आज से हिम्मत जुटा ले ।
सच , राह यह कांटो भरा है ।
पर, सबको चलना ही पड़ा है ।
कौन जाने कल के सपने ,
कल नही भाये ख़ुद ही को ।
आज का दिन, आज मिला है ,
हंस के तू जी ले इसी को ।
मुस्कुराते चेहरे से तू ,
बाँट दे सारी खुशी को ।
सब सफलता और विफलता ,
सौंप दे उस मलिकी को ।
कल सुधर जायेगा ख़ुद ही ।
कल की चिन्ता आज करे तो ,
समय निकल जायेगा ख़ुद ही ।
चिन्ता में क्यूँ आज पड़ा है ?
चिंता से मिलता ही क्या है?
चिन्ता छोड़ चिंतन अपना ले ।
सोंच ले क्या भला-बुरा है ।
जो भला उसको अपना ले ।
आज से हिम्मत जुटा ले ।
सच , राह यह कांटो भरा है ।
पर, सबको चलना ही पड़ा है ।
कौन जाने कल के सपने ,
कल नही भाये ख़ुद ही को ।
आज का दिन, आज मिला है ,
हंस के तू जी ले इसी को ।
मुस्कुराते चेहरे से तू ,
बाँट दे सारी खुशी को ।
सब सफलता और विफलता ,
सौंप दे उस मलिकी को ।
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