Wednesday, January 18, 2023

चला एक शर फिर अर्जुन तू

चला एक शर फिर अर्जुन तू
कर जनमानस उन्माद-रहित
कर धर्म अंधविश्वास-रहित
कर दे विद्या व्यवसाय-रहित
कर दे उपासना काम-रहित



चला एक शर फिर अर्जुन तू 
कर दे चरित्र फिर दाग-रहित

कर दे दुनिया संताप-रहित
कर भूतल को दारिद्रय-रहित
कर घर-घर को जंजाल-रहित


चला एक शर फिर अर्जुन तू
कर कर्म फिर अभिमान-रहित
कर दे हृदय विषाद-रहित
हो अर्चना फिर माँग-रहित
हो भावना फिर राग-रहित



Friday, August 14, 2015

भारत माता की जय बोलें



आओ सब मिल कर के हम, भारत माता की जय बोलें,
भारत माँ की सेवा में जो प्राण दिए उन वीरों को,
श्रद्धानत हो आस्वाशन दें, और नए कुछ संकल्प सँजों लें,
आओ सब मिल कर के हम, भारत माता की जय बोलें। 

गाँधी, सुभाष, आजाद, भगत ने देखा था जैसा सपना,
वैसा ही देश बनायेंगे, चाहे सर्वस्व लगे अपना,
जगद्गुरु हो भारत माता, अपना जीवन मंत्र ये हो ले,
आओ सब मिल कर के हम, भारत माता की जय बोलें।
"मानव मात्र- एक समान" यही हमारा नारा हो,
सब कदम मिलाकर बढ़ निकलें तो बड़ा दृश्य ये न्यारा हो,
जाति-धर्म का भेद मिटाकर, अपने उर के दरवाजे खोलें,
आओ सब मिल कर के हम, भारत माता की जय बोलें।

जिसने शून्य-खगोल दिया, भाषा से परिचय करवाया,
पत्तों में लिपटी दुनिया को, जिसने था कपड़ा पहनाया,
वह कैसे पिछड़ा कहलाया? हम इस पे थोड़ा विचार लें,
आओ सब मिल कर के हम, भारत माता की जय बोलें।

राष्ट्र देव की पूजा हो और कर्मठता के फूल चढ़ायें,
जो स्वर्णिम युग था भारत का, उसको फिर वापिस लायें,
अनुकरण की राहें छोड़ें, खुद को  फिर से उभार लें,
आओ सब मिल कर के हम, भारत माता की जय बोलें।


स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष पर रचित , १५-अगस्त -१५
( हम जैसे अशंख्य विद्यार्थियों के प्रेरणा श्रोत रहे
भारतरत्न डॉ. . पी. जे. अब्दुल कलाम को सादर समर्पित )